અમદાવાદ
ईंद के त्योंहार में मिठास भरते हिन्दु कारिगर !
ईंद के त्योंहार में मिठास भरते हिन्दु कारिगर
गुजरात के सेवइयों मे जान फुंकते उत्तर प्रदेश के कारिगर
जैसे-जैसे रमजान का पवित्र महीना समाप्त होने की ओर बढ़ रहा है, दुनिया भर के मुस्लिम समुदाय जल्द ही ईद-उल-फितर मनाने की तैयारी कर रहे हैं.
इसे मीठी ईद के रूप में भी जाना जाता है, यह रोजा (उपवास) के अंत का प्रतीक है, जो रमजान के दौरान पूरे एक महीने तक मनाया जाता है.
कोरोना के दो साल के आपदा के बाद ईद मनाने के लिये जोर शोर से तैयारी हो रही है और
यह कहने में कोई गुरेज नहीं होगा कि मीठी ईद सेवइयों के बिना अधूरी है. मखाना,
बादाम, नारियल, काजू, दूध के साथ पकाई हुई किशमिश, खोया, चीनी और सेंवई से भरपूर
यह मिठाई बहुत ही स्वादिष्ट लगती है.इसके बगैर ईद फीकी है ऐसा कहना बिलकुल गलत नही होगा
लेकिन आपको बदा दे कि सेवइया हमेशा से हिन्दु मुस्लिमान के एकता का प्रतिक बनी हुई है
आपको लगगे कैसै तो इसकी मिशाल अहदाबाद के सेवइया बनाने वाले व्यापारी और कारीगर है
यहा के गोमतीपुर क्षेत्र में छोटे स्तर पर स्थानिक व्यापारी सेवइया बनाने का गृह उद्योग चलाते है
मुस्लिम मालिक होने के बावजुद यहा हिन्दु कारीगर सवैया बनाते है,,और सेवैयो के ब्रान्ड भी हिन्दु नाम से प्रसिध्ध है
हमारी मुलाकात यहा दिलसाद अंसारी से हुई,, वह सेवइया बनाने के गृह उद्योग से जुडे हुहे है हम
उनके कारखाने पर पहुचें,, कारखाने के बाहर सागर पुजा सेव वर्कस नाम पढकर आश्चर्य हुआ की
मुस्लिम होने के बावजुद इन्होने अपनी फर्म का नाम हिन्दु नामो के हिसाब से रखा है,
इसी ब्रान्ड के नाम से वह देश भर में अपनी सवैया निर्यात करते है
दिलसाद अंसारी ने बताया कि उनके दादा ने सेवइया बनाने की शुरुआत की थी, इसके बाद उन्होने अपने
पुष्तैनी व्यवसाय को आगे बढाया, उन्होने हमे बताया कैसे मैदे और पानी से मिलकर सेवइया बनता है
कैस उसे सुखाते है, फिर भट्टी में सुखाते है और पैकींग करने बाद उसे अलग अलग ब्रान्ड से मार्केट में बेचत है ,उनके 70 से 75 फीसदी
व्यापारी हिन्दु समुदाय से है,, उन्हे कभी नही लगता की व्यापार में कभी भेदभाव हुआ हो उनके आधे से ज्यादा कारीगर भी
हिन्दु है,, जो उनके व्यवसाय को आगे बढा रहै है
दिलशाद अंसारी
महेंगाइ ने काम बिगाडा
दिलसाद अंसारी की माने तो बढती महेंगाइ ने सवैया के व्यवसाय को
पहेले से आधा कर दिया है, आटा मैदा सभी कै दाम बढ गये है
साथ में मजदुरी भी बढी है, अब अगर सवैया का दाम बढाते है, तो आगे के व्यापारी सेवैया लेने में कटौती करते है
जो पहेले कम से के दो टन सवैया का ओर्डर देते थे वे अब 500 किलो से एक टन सेवैया का
ओर्डर ही दे रहै , सेवैया का उत्पादन की लागत तो बढी है,,पर लाभ में कमी आ गई है
मुस्लिमो के त्योहार को मीठा करते है हिन्दु कारीगर
फैयाज अंसारी नाम के वेपारी भी रेडी टु इट, यानी की बनी बनाइ सवैया के कारोबार में है,,जो रंग बिरंगी होती है,,
उसे केवल घर ले जाकर गरम दुध में डालकर खाया जाता है,पिछले कई सालो से इसका प्रचलन भी बढा है, रेडी टु इट सवैया बनाने में उत्तर प्रदेश के
हिन्दु कारीगर माहीर माने जाते है,
रामेश्वर
कानपुर से आये कारीगर रामेश्वर कहते है कि वो 15 साल से यहा आते है डेढ महिने सवैया बनाते है और
वापस उत्तर प्रदेश चले जाते है इसमे उनकी महारथ हासिल है,, उन्हे कभी नही लगा की वो मुस्लिम मालिक के
यहा काम करतै है,,कभी भेदभाव का अहेसास नही हुआ, उन्हे यहा भी अपने परिवार में होने के का अहेसास होता है,,
हरीओम
वही हरिओम नाम के कारीगर का कहना है कि वे भी अपने मित्र मंडली के साथ देखा देखी काम के तलाश में
अहमदाबाद आये और यही के रह गये, अपने सभी मित्रो के साथ वे आते है और काम करते है
यु पी भले ही किसी का भी सरकार हो,, उन्हे तो केवल अपनी रोजी रोटी से मलतब है,, उन्हे कभी नही लगा कि
उनके मालिक मुस्लिम है, वह हमेशा बडे भाइ की तरह हमारा ख्याल रखते है,सभी जरुरतो का हमारा यहा ध्यान रखा
जाता है,,
ईस तरह सेवैया भले ही मुस्लिमो के त्योहार में स्वाद बढाती हो,, पर हिन्दु कारीगरो के महेनत के रंग के बगैर यह अधुरी है,इस
दोनो धर्मो के व्यापारी औऱ कारिगर मिलकर ईद को तो सुखद बना ही रहै है ,,देश के लिये मिशाल भी साबित हो रहै है
इटली की है सेवईया
भारत में भले ही सेवइया का खास धर्मिक और पारंपरिक महत्व है,, पर आपको जानकर आश्चर्य होगा की
सेवई का मुल देश इटली है,, यह इटली से मध्य एशिया, अमेरिका युरोप चीन होते हुए भारत आई है
इटली में 14वी सताब्दी में सेवैयो के विभिन्न प्रकार का उल्लेख मिलता है,,
यह एक प्रकार के पास्ता के समान है,, इसे ब्रिटेन में स्पेगेटी भी कहा जाता है,,
यह स्पेगेटी की तुलना मे यह पतली होती है, चीन में यह नुडल्स की तरह प्रसिध्ध है
मघ्य पुर्व और पुर्वी आफ्रीका में भी यह प्रचलीत है,
सेवई जिसे अरबी में शिरेया कहा जाता है, इसका उपयोग मिस्र में चावल पकाने के तरीको में किया जाता है, सेंवई को तेल या मक्खन से तल
कर ब्राउन किया जाता है, , फिर चावल और पानी डाला जाता है, सोमालिया में भी इसे मिठे पकवान के रुप परोसा जाता है, ,
अमरिका मे सेंवई को फिडीयो कहा जाता है,
फीडीयो यह नुडल्स का प्रकार है,इसे फीडीयस या फिडेलिस कहते है,
मेक्सिकन अने लैटिन अमेरीकी भोजन में यह प्रसिध्ध है,
भारत उपमहाद्वीप में प्रचलन है
माना जाता है कि सेवैया भारत में मुघल काल के दौरान प्रचलित हुआ, मुस्लिम शाषन में उत्सव के दौरान सेवैया के विविध पकवान बनाने का
रिवाज था, जो बाद में परंपरा में तब्दील हो गया,,
सेवैया को तेलुगू में सेम्या, तामिल में सेमिया, मलयालम में सेयेमियुं, कन्नड में शावगी, बंगाली में शेमी,हिन्दी उर्दु और पंजाबी में सेवैया कहते है
मराठी में वलावट या सेवाया कहेतै ओडिया में सीमी कहते है, गुजराती में सेव अथवा सेवैयो और तुलु में सिमीग कहतै है.,
सवैया को तैयार करने की विधी भी अलग अलग प्रदेशो में अलग अलग है,
खास करके मिठी सवैया प्रचलित है, जिसे मुस्लिम समुदाय के लोग त्योहार पर बनातै हे, यहे पकवान या मिष्ठान की तरह भी बनता है,
कइ प्रदेशो में यह नमकी बनाया जाता है
तो कही इसे नुडल्स की तरह बनाया जाता है,और सब्जीयो का उपयोग किया जाता है